जब कभी किसी दुर्घटना या अन्य कारण से हमारे शरीर की कोई हड्डी टूट जाती है तो रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से हमारे कई काम प्रभावित होते हैं, और हम दर्द से भी परेशान रहते हैं।
किसी विशेष कारण से कभी-कभी हड्डी टूटना आम बात हो सकती है, लेकिन अगर आपको बार-बार फ्रैक्चर हो रहे हैं, तो यह चिंता की बात है जिस पर तुरंत ध्यान देना ज़रूरी है।
बार-बार फ्रैक्चर होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ आपकी सेहत से जुड़े होते हैं और कुछ आपकी जीवनशैली से भी। ऐसे में इस आर्टिकल में हम बार-बार फ्रैक्चर होने के कारणों और उनसे निपटने के प्रभावी तरीकों पर चर्चा करेंगे।
बार-बार फ्रैक्चर होने के मुख्य कारण
हम सभी जानते हैं कि हड्डियाँ हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। यह हमारे शरीर को सहारा देती हैं, और हमें चलने-फिरने में मदद करती हैं।
अंगों को संभालने और उसके संचालन में हड्डी का बहुत बड़ा रोल रहता है। जैसे हमारे हाथ, पैर, मुंह आदि। जब ये कमज़ोर हो जाती हैं, तो छोटी-मोटी चोट भी बड़े फ्रैक्चर का कारण बन जाती है। बार-बार फ्रैक्चर होने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जो इस प्रकार है।
1. ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डियों का कमज़ोर होना
यह हड्डियों के बार-बार फ्रैक्चर होने का सबसे बड़ा और आम कारण माना गया है, हालांकि यह बुज़ुर्गों में अधिक देखने को मिलता है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियाँ अंदर से खोखली और भुरभुरी हो जाती हैं। ऐसे में जरा सी चोट लगने पर भी वह टूट जाती है। यह आमतौर पर कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से होता है, जो हड्डियों के निर्माण के लिए बेहद ज़रूरी हैं।
2. सही पोषण की कमी
हड्डियों को मज़बूत रखने के लिए कैल्शियम के अलावा विटामिन डी, फ़ास्फोरस, मैग्नीशियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व भी बेहद ज़रूरी हैं।
विटामिन डी शरीर को कैल्शियम सोखने में मदद करता है, जबकि प्रोटीन हड्डियों के ढांचे का एक अहम हिस्सा है। अगर भोजन में इन पोषक तत्वों की कमी है, तो आपकी हड्डियाँ धीरे-धीरे कमज़ोर हो सकती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।
3. कुछ ख़ास बीमारियां
कुछ खास बीमारियां भी सीधे तौर पर हड्डियों को कमज़ोर कर सकती हैं, या शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित कर सकती हैं। वे इस प्रकार हैं।
— हाइपरपैराथायरायडिज्म: इसमें पैराथायरायड ग्रंथियां आवश्यकता से अधिक पैराथायरायड हार्मोन बनाती हैं, जिससे हड्डियों से कैल्शियम निकल कर खून में चला जाता है और हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं।
— सीलिएक रोग: यह पाचन संबंधी विकार है जहाँ शरीर ग्लूटेन को पचा नहीं पाता है। इससे छोटी आँत में पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होता है, जिससे हड्डियों के लिए ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
— अल्सरेटिव कोलाइटिस: ये पेट की सूजन वाली बीमारियां हैं, जो भी पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालती हैं।
— किडनी रोग: किडनी, शरीर में कैल्शियम और फ़ास्फोरस के संतुलन को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। किडनी की बीमारी में यह संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे हड्डियाँ कमज़ोर हो सकती हैं।
— रुमेटीइड गठिया : ये बीमारियाँ हड्डियों के घनत्व को कम कर सकती हैं, क्योंकि इन बीमारियों में शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली हड्डियों पर हमला करती है।
— कुछ कैंसर : हड्डियों का कैंसर सीधे हड्डियों को कमज़ोर कर सकता है। इसके अलावा, कुछ कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी भी हड्डियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती हैं।
4. दवाओं के साइड इफेक्ट्स:
कुछ दवाएं भी अगर लंबे समय तक ली जाएं तो हड्डियों के स्वास्थ्य पर बूरा प्रभाव डालती हैं। उदाहरण के लिए, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स अस्थमा, गठिया या अन्य सूजन संबंधी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होते हैं, जिसका असर भी प्रभावित करता है। मिर्गी, पेट के अल्सर के लिए प्रोटॉन पंप इनहिबिटर, और कुछ कैंसर की दवाएँ भी हड्डियों के घनत्व को कम कर सकती हैं।
5. आनुवंशिक कारक:
कुछ लोगों में आनुवंशिक कारणों से उनकी हड्डियाँ कमज़ोर होती हैं या वे हड्डियों से संबंधित बीमारियों से ग्रसित होते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को बार-बार फ्रैक्चर या ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या रही है, तो आपको भी इसका जोखिम हो सकता है।
6. शारीरिक गतिविधियों में कमी:
हड्डियों को मजबूत रखने के लिए हड्डियों पर हल्का वजन डालने वाली शारीरिक गतिविधियां जरूरी है। जब हम चलते हैं, दौड़ते हैं या कूदते हैं, तो हड्डियों पर हल्का तनाव पड़ता है जो उन्हें मज़बूत और घना बनाने में मददगार है।
अगर आप ज़्यादा देर तक बैठे रहते हैं या पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते, तो आपकी हड्डियां धीरे-धीरे कमज़ोर हो सकती हैं।
7. अत्यधिक शराब का सेवन और धूम्रपान:
अत्यधिक शराब का सेवन और धूम्रपान हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए खराब है। शराब हड्डियों के निर्माण और मरम्मत की प्रक्रिया में बाधा डालती है और शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करती है।
सिगरेट में निकोटिन होता है, जो हड्डियों में रक्त प्रवाह को कम करता है और हड्डियों को बनाने वाली कोशिकाओं की गतिविधि को धीमा कर देता है, जिससे हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं।
8. बार-बार गिरना:
यदि आपको संतुलन संबंधी समस्याओं, मांसपेशियों की कमज़ोरी, आँखों की रोशनी में कमी, या किसी तंत्रिका संबंधी समस्या के कारण बार-बार गिरने की समस्या है, तो भी फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि इसमें हड्डी की कमजोरी वाला मामला नहीं है
बार-बार फ्रैक्चर का समाधान और रोकथाम
अगर आपको बार-बार फ्रैक्चर हो रहे हैं, तो इसे हल्के में न लें। ऐसी स्थिति में तुरंत किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है। डॉक्टर आपके लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री और कुछ ख़ास टेस्ट के आधार पर सटीक कारण का पता लगाकर उपचार शुरू करेंगे।
उपरोक्त अलावा निम्नलिखित उपाय आपके लिए बार-बार होने वाले फ्रैक्चर से राहत दिला सकते हैं।
1. पोषक तत्वों का पर्याप्त सेवन :
— कैल्शियम: अपने आहार में कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, बादाम, तिल, टोफू और फोर्टीफाइड जूस को शामिल करें।
— विटामिन डी: रोज़ाना सुबह की धूप में 15-20 मिनट तक अवश्य बैठें। मछली, अंडे की ज़र्दी और फोर्टीफाइड दूध या अनाज का सेवन करें।
— अन्य पोषक तत्व: खाने में वे पदार्थ शामिल करें जिसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम और फ़ास्फोरस भी पर्याप्त मात्रा में हो।
2. नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
3. शराब और धूम्रपान का सेवन नहीं करें।
4. पर्याप्त नींद लें और वजन पर नियंत्रण रखें।
5. निश्वित समयांतराल पर स्वास्थ्य जाचं करवाते रहें।
बार-बार फ्रैक्चर होना एक गंभीर चेतावनी का संकेत है, जिसे कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना आपके स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता के लिए बेहद ज़रूरी है। हड्डियों से जुड़ी किसी भी समस्या और चिकित्सा सहायता के लिए डॉ. चौधरी हॉस्पीटल, उदयपुर में विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
