क्या बार-बार बाल नोचना OCD से जुड़ा है? जानिए Trichotillomania का संबंध?

आपने कभी न कभी यह जरूर देखा होगा कि कोई व्यक्ति बिना वजह अपने सिर के बाल को बार-बार को खींच या नोच रहा है, या पलकों के बाल तोड़ने का प्रयास कर रहा है या सिर में हाथ घुमा रहा है, और फिर खुद ही परेशान हुआ जा रहा है।

आमतौर पर हम इसे आदत मानकर नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन कभी-कभी यह मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्या या स्थिति भी हो सकती है, जिसे Trichotillomania कहते हैं।

हालांकि कई लोग इसे OCD यानी Obsessive Compulsive Disorder से जोड़ते हैं, क्योंकि इसमें भी व्यक्ति बार-बार कुछ ऐसा करता है जिसे रोकना और समझाना मुश्किल होता है। ऐसे में इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि क्या बार-बार बोल नोचना OCD से जुड़ा हुआ है? इसका Trichotillomania से संबंध क्या है?

यह बीमारी क्या है, क्यों होती है, क्या इसके लक्षण हैं और इसका इलाज क्या है।

Trichotillomania क्या है?

Trichotillomania एक ऐसी मानसिक समस्या है जिसमें इससे प्रभावित व्यक्ति बार-बार अपने शरीर के बालों को खींचता है। इसमें व्यक्ति सबसे ज्यादा अपने सिर, अपनी भौंहें, पलकें और हाथ पैर के बालों को नोचने का प्रयास करता है और वह इस प्रक्रिया को दोहराता है। ऐसा करने पर उसे राहत मिलती है।

इस समस्या से प्रभावित व्यक्ति स्वयं भी इस प्रक्रिया को रोकना चाहते हैं, लेकिन रोक नहीं पाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि व्यक्ति के द्वारा शरीर के बाल खींचने पर वह जगह खाली हो जाती है। जिससे वह व्यक्ति और भी परेशान रहता है।

क्या यह OCD जैसी बीमारी है?

देखिए, OCD और Trichotillomania दोनों में समानता जरूर होती है, लेकिन अंतर भी है। इन दोनों स्थितियों में व्यक्ति बार-बार कुछ ऐसा करता है जिसे करने की उसे बेचैनी होती है और ऐसा करने के बाद उसे राहत मिलती है। लेकिन इसके बावजूद OCD और Trichotillomania में फर्क जरूर है।

सबसे पहला अंतर यह है कि OCD में इंसान डर या सोच से घबरा कर काम करता है, जैसे बार-बार हाथ धोना या फिर कोई और काम करना। ओसीडी में व्यक्ति सफाई से जुड़ा हुआ काम ज्यादा करता है।

Trichotillomania में व्यक्ति बिना किसी डर के बाल खींचता है, और उसे उस समय थोड़ी राहत या शांति महसूस होती है। इसमें व्यक्ति खुद को राहत पहुंचाने के लिए बालों को खींचता है, या उस प्रक्रिया को बार-बार दोहराता है।

इसलिए Trichotillomania को अब एक अलग तरह की समस्या माना जाता है। इसे Body-Focused Repetitive Behavior (BFRB) में गिना जाता है। जिसका अर्थ है शरीर से जुड़ी दोहराई जाने वाली आदत।

Trichotillomania के लक्षण क्या हैं?

1.बार-बार अपने सिर, भौंह, पलकों या शरीर के बाल नोचना

2. बेचैनी होना और बाल नोचने के बाद राहत मिलना

3. बाल खींचने के कारण बाल कम हो जाना या गंजापन

4. लोगों से छिपकर अपने बालों को खींचना

5. खुद को तकलीफ देकर भी आदत को नहीं छोड़ना

Trichotillomania के कारण क्या है?

Trichotillomania के कारणों के बारे में सीधी जानकारी तो मिलना मुश्किल है, लेकिन इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।

1. तनाव या चिंता: जब व्यक्ति किसी तनाव या चिंता के कारण बहुत ज्यादा सोचता है तो सोचने के दौरान उसे इस तरह की आदत लगना संभव है।

2. दिमाग में केमिकल का असंतुलन: जब व्यक्ति के दिमाग में केमिकल का असंतुलन हो जाता है तो ऐसी समस्याएं देखने को मिलती है। जैसे सेरोटोनिन या डोपामिन की गड़बड़ी।

3. आनुवंशिक: ऐसा भी देखने में आया है कि परिवार में अगर किसी को इस तरह की आदत है तो उनके बच्चों को भी यह समस्या हो सकती है।

4. अगर किसी को बचपन में इस तरह की आदत रही हो तो वह बाद में जाकर बीमारी में बदल सकती है।

Trichotillomania का इलाज क्या है?

1. थैरेपी : यह सबसे कारगर इलाज माना गया है। इसमें खासकर Habit Reversal Therapy को अपनाते हैं, जिसमें इंसान को अपनी आदत को पहचानने और उसे रोकने के आसान तरीके सिखाए जाते हैं।

2. दवाइयां: गंभीर मामलों की स्थिति में डॉक्टर के द्वारा दवाइयां दी जाती हैं, जो मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।

3. योग एवं ध्यान: मन को शांत रखने और बेचैनी को कम करने के लिए योग एवं ध्यान भी बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार डॉक्टर के द्वारा इसकी भी सलाह दी जाती है।

4. परिवार का साथ: अगर किसी व्यक्ति को इस तरह की परेशानी है तो उसे परिवार का साथ और दोस्तों के साथ रहना बहुत जरूरी होता है जिससे उसे मानसिक और भावनात्मक सपोर्ट मिलता है।

डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

अब सबसे आखरी सवाल की Trichotillomania स्थिति में डॉक्टर से कब मिलना चाहिए। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तब मिलना चाहिए जब बाल खींचना आदत से ज़्यादा मजबूरी बन जाए, बाल झड़ने की वजह से शरीर में खाली जगह दिखने लगे,
अगर इस समस्या के साथ तनाव, नींद की कमी, या डिप्रेशन भी महसूस हो और जब से प्रभावित व्यक्ति खुद को चोट पहुंचाने लग जाए।

Trichotillomania कोई सामान्य आदत नहीं, बल्कि यह एक मानसिक बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। इसे नजरअंदाज नहीं करके, इसकी पहचान कर इलाज कराना जरूरी है। अगर आप या आपके आसपास कोई इस आदत से परेशान है, तो उसे भावनात्मक सपोर्ट दें। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए डॉ. चौधरी हॉस्पिटल, उदयपुर में विशेषज्ञ को अवश्य दिखाएं।

क्या भोजन के बाद पेट में भारीपन और दर्द सताता है? जानिए कारण और समाधान

आपने या आपके परिवार में किसी ने कभी न कभी यह समस्या जरूर महसूस की होगी कि खाने के बाद पेट में दर्द हो रहा है या पेट भारी हो गया है। दरअसल, खाना खाने के बाद पेट में भारीपन या दर्द की समस्या आजकल आम होती जा रही है। कुछ लोगों में खाना खाते ही सीने में जलन, गैस, या पेट फूलने की समस्या देखने को मिलती है, तो कुछ को दर्द भी होता है।

अक्सर हम इस समस्या को हल्के में ले लेते हैं, लेकिन यह हमारे पाचन तंत्र से जुड़ी बड़ी समस्या का संकेत भी हो सकता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि खाना खाने के बाद पेट में भारीपन और दर्द क्यों होता है, इसके क्या लक्षण होते हैं और कैसे इसे घर पर ही आसान उपायों से ठीक किया जा सकता है।

पेट में भारीपन के कारण

1. अधिक मात्रा में खाना खाना– जब हम पेट की क्षमता से ज्यादा खाना खा लेते हैं, तो यह समस्या हो सकती है। हमारी क्षमता से अधिक भोजन करने पर पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे हमें भारीपन महसूस होता है।

2. भारी, तला हुआ या मसालेदार भोजन करना – जब हम भारी, तला हुआ और बहुत ज्यादा स्पाइसी खाना खा लेते हैं, तो ऐसा खाना देर से पचता है और गैस बनाता है। जिससे भी यह समस्या हो सकती है।।

3. जल्दी-जल्दी खाना खाना – जब हम तेजी से खाते हैं तो ऐसे में खाने के साथ हवा भी पेट में जा सकती हैं, जिससे भी पेट फूला हुआ महसूस होता है।

4. कम पानी पीना – पानी सिर्फ प्यास नहीं बुझाता बल्कि भोजन पचाने के लिए भी शरीर को पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में पानी की कमी से पाचन धीमा हो जाता है। जिससे भी भारीपन हो सकता है।

5. तनाव और चिंता – हमारी मानसिक स्थिति का सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। तनाव और चिंता की वजह से भी यह समस्या देखने को मिलती है।

6. कुछ विशेष बीमारियां – कुछ खास बीमारियां जैसे जैसे एसिडिटी, अल्सर, गैस्ट्राइटिस, या आईबीएस से भी यह समस्या देखने को मिलती है।

पेट में दर्द क्यों होता है?

पेट दर्द का मुख्य कारण भी पाचन से जुड़ी समस्याएं हैं। इनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

1. गैस या एसिडिटी

2. कब्ज या दस्त

3. अपच

4. बैक्टिरियल इन्फेक्शन

5. फूड एलर्जी

6. पेचिश या फूड पॉइजनिंग

7. पथरी या अन्य पेट के रोग

यदि पेट दर्द लगातार बना रहे या तेज हो जाए, तो यह किसी गंभीर समस्या जैसे अल्सर, अपेंडिक्स या पैंक्रियास से जुड़ा संकेत भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।

पेट में भारीपन के लक्षण क्या है?

पेट में भारीपन के लक्षण निम्नलिखित होते हैं।

1. कम खाने पर भी पेट में भरेपन का अहसास

2. गैस बनना और बार-बार डकारें आना

3. भूख कम लगना या खाने का मन नहीं होना

4. थकान और सुस्ती महसूस होना

5. पेट में खिंचाव या जलन होना

पेट दर्द के लक्षण क्या हैं?

पेट दर्द के लक्षण निम्नलिखित होते हैं।

1. पेट में मरोड़ जैसा दर्द

2. दर्द बीच-बीच में उठने वाला या लगातार बना रहना

3. दर्द के साथ उल्टी या मिचली की समस्या

4. मल त्याग में समस्या होना

5. बुखार या ठंड लगना (इन्फेक्शन होने पर)

पेट में भारीपन और दर्द ठीक करने के सामान्य उपाय

1. भोजन के बाद टहलें – खाना खाने के बाद तुरंत बैठे या लेटे नहीं। खाने के बाद 10-15 मिनट टहलना पाचन में मदद करता है।

2. गुनगुना पानी पिएं – हर रोज सुबह हल्का गर्म पानी पीने से गैस और भारीपन में राहत मिलती है।

3. हींग और अजवाइन का सेवन करें – प्रतिदिन थोड़ी सी हींग और अजवाइन गर्म पानी के साथ लेने से पेट की गैस और दर्द में आराम मिलता है।

4. पेट पर गर्म पानी की बोतल रखें – अगर पेट दर्द और भारीपन की अधिक समस्या हो तो पेट पर गर्म पानी की बोतल रखें। इससे मांसपेशियाँ ढीली होती हैं और दर्द कम होता है।

5. छाछ और काला नमक – छाछ औषधीय गुणों से भरपूर होती है, जो पाचन को सुधारती है और काला नमक गैस कम करता है।

6. तनाव को कम करें – प्रतिदिन 15 मिनट योग, प्राणायाम या ध्यान से मानसिक शांति मिलती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाने में सहायक है।

7. फाइबर युक्त आहार – कब्ज और अपच से बचने के लिए फल, सब्जियाँ और फाइबर युक्त अनाज का सेवन करना चाहिए।

8. तला और मसालेदार नहीं खाए – तला हुआ और मासलदार खाने से पेट दर्द की समस्या बढ़ती है। ऐसे में इस तरह का खाना खाने से बचाना चाहिए।

 

खाना खाने के बाद पेट में भारीपन और दर्द एक आम समस्या जरूर है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सामान्य जीवनशैली, संतुलित आहार और अच्छी दिनचर्या अपनाकर इस समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। पेट दर्द से जुडी किसी भी समस्या के लिए डॉ. चौधरी हॉस्पिटल, उदयपुर में विशेषज्ञ डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।

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