Low BP के 5 साइलेंट सिग्नल जो शरीर भेजता है – क्या आपने नोटिस किए?

आपने कई लोगों को यह कहते जरूर सुना होगा कि उनकी बीपी लो हो गई है या​ फिर उनको लो बीपी की शिकायत है। Low BP यानी लो ब्लड प्रेशर तब होता है, जब हमारे शरीर में खून का दबाव आवश्यकता से कम हो जाता है। ऐसे में शरीर के अंगों तक खून सही तरीके से नहीं पहुंच पाता, जिससे थकावट, चक्कर आना या सुस्ती जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं।

कई बार इसके संकेत इतने हल्के होते हैं कि हम उन्हें मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो ये गंभीर भी हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम Low BP के उन साइलेंट सिग्नल्स को समझें, और समय पर सही निर्णय लें।

इस आर्टिकल में हम निम्नलिखित विषयों पर बात करेंगे।

  1. लो बीपी क्या होता है? Low BP kya hota hai
  2. लो बीपी का लक्षण Low BP ke lakshan
  3. लो बीपी के कारण Low BP ke karan
  4. लो बीपी का उपचार Low blood pressure treatment in Hindi
  5. लो बीपी के घरेलू उपाय Low BP ke gharelu upay
  6. बीपी लो होने पर क्या करें? BP low hone par kya kare
  7. बीपी लो होने से क्या मतलब है? – Low blood pressure meaning in Hindi

Low BP का मतलब है कि खून हमारे शरीर में पर्याप्त स्पीड और दबाव से नहीं पहुंच रहा, जिससे अंगों को जरूरी ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता है। ऐसा कभी भी हो सकता है, लेकिन शरीर इससे जुड़े संकेत जरूर देता है।

अब यह जानना आवश्यक है कि किस स्तर से नीचे का ब्लड प्रेशर लो बीपी में गिना जाएगा। दरअसल, जब BP 90/60 mmHg या उससे नीचे चला जाए तो, इसे लो ब्लड प्रेशर कहा जाता है।
ऐसा होने पर शरीर में कमजोरी, सुस्ती, और ध्यान में कमी जैसे लक्षण नजर आते हैं।

बीपी लो क्यों होता है? – Low BP ke karan

यूं तो Low BP के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे हमारा खानपान, दिनचर्या, किसी बीमारी का लक्षण या फिर दवाइयों का सेवन। यहां हम कुछ सामान्य कारणों के बारे में जानेंगे, जो इस प्रकार हैं।

  • शरीर में पानी की कमी।
  • लंबे समय तक खाली पेट रहना।
  • हार्ट की बीमारी या स्लो हार्टबीट।
  • एनीमिया या थायरॉइड की समस्या
  • अचानक खड़े होने पर BP कम होना।
  • गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव।
  • कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट आदि।

बीपी लो होने के लक्षण – Low BP ke lakshan

Low BP के लक्षण शुरू में अक्सर हल्के नजर आते हैं, लेकिन समय पर ध्यान न देने पर गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में इन लक्षणों की पहचान जरूरी हैं।

  • सिर चकराना या हल्का महसूस होना।
  • नजर का धुंधला होना।
  • थकान, कमजोरी और सुस्ती।
  • मतली या उल्टी जैसा महसूस होना।
  • धीमी या अनियमित हार्टबीट।
  • शरीर का ठंडा होना और पसीना आना।

बीपी लो होने पर 5 साइलेंट सिग्नल – BP low ke nishan

शरीर में कुछ संकेत ऐसे होते हैं जो BP कम होने की ओर इशारा करते हैं, लेकिन हम अक्सर इन्हें दूसरी वजह समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं। ये साइलेंट सिग्नल्स समझना बेहद जरूरी है।

1. शरीर का थका हुआ या सुस्त महसूस करना

  • बिना थके हुए भी सुस्त महसूस करना।
  • ये दिमाग तक कम ऑक्सीजन पहुंचने का संकेत हो सकता है।

2. खड़े होते ही चक्कर आना

  • अचानक उठने पर सिर घूमना और चक्कर आना।
  • Orthostatic Hypotension का लक्षण हो सकता है।

3. हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना

  • ब्लड सर्कुलेशन धीमा होने से हाथ-पैर ठंडे हो जाते है।
  • इसका मतलब है कि शरीर में खून सही से नहीं पहुंच पा रहा।

4. ध्यान या फोकस की कमी

  • कुछ सोचते-सोचते भूल जाना या बातों में खो जाना।
  • यह दिमाग तक ब्लड न पहुंचने का सीधा संकेत माना जाता है।

5. सांस फूलना और थकान

  • सीढ़ियां चढ़ते ही थक जाना और सांस का फूलना।
  • ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि Low BP से हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

कैसे पता करें कि बीपी लो है – Low BP kaise check kare

अगर Low BP की सही पहचान, समय पर हो जाए तो इलाज आसान हो जाता है। इसके लिए घरेलू और मेडिकल दोनों उपाय उपलब्ध हैं।

  • अगर संदेह है तो डिजिटल BP मशीन से दिन में 2 बार BP चेक करें।
  • अगर लगातार 90/60 mmHg या उससे कम बीपी आ रहा है तो डॉक्टर से मिलें।
  • चक्कर आना और बार-बार थकान महसूस हो रही है तो यह लो बीपी हो सकती है।

बीपी लो होने पर क्या करें? – BP low hone par kya kare

BP Low के लक्षण दिखने पर कुछ आसान उपाय कर एक बार के लिए राहत पाई जा सकती है। लेकिन इसके बाद डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।

  • तुरंत बैठ जाएं और पैरों को ऊपर रखें।
  • थोड़ा नमक मिला पानी या इलेक्ट्रोलाइट पिएं।
  • अगर कमजोरी ज्यादा हो तो मीठा या कॉफी लें।
  • ठंडी जगह से बाहर निकलें और खुले वातावरण में रहें।
  • डॉक्टर को दिखाएं और आवश्यक दवाइयां लें।

बीपी लो को ठीक करने के घरेलू उपाय – Low BP ke gharelu upay

Low BP से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय बहुत असरदार हैं। ये शरीर की ताकत बढ़ाकर ब्लड फ्लो को बैलेंस करते हैं। अगर आपको लो बीपी की शिकायत है तो यह घरेलू उपाय जरूर अपनाएं।

1. नमक और नींबू का पानी

एक गिलास पानी में चुटकीभर नमक और नींबू मिलाकर पिएं। इससे ब्लड सर्कुलेशन तुरंत बेहतर होता है।

2. किशमिश और बादाम

रात में 4-5 किशमिश और बादाम भिगो दें और सुबह खाएं, यह एनर्जी और आयरन दोनों का बेहतरीन स्रोत है।

3. तुलसी के पत्ते

4-5 तुलसी पत्ते रोज़ चबाएं या गर्म पानी में डालकर पिएं। यह BP और इम्यूनिटी दोनों को बैलेंस करता है।

4. ब्लैक टी या कॉफी

कम मात्रा में ब्लैक टी या कॉफी पीने से BP कुछ समय के लिए बढ़ता है। हालांकि अधिक मात्रा से बचें और इसे आदत न बनाएं।

5. पानी की मात्रा बढ़ाएं

दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी अवश्य पिएं। डिहाइड्रेशन भी Low BP का बड़ा कारण है।

हमें यह ध्यान रखना है कि Low BP कोई मामूली समस्या नहीं है, खासकर तब जब शरीर इसके संकेत पहले से देने लगता है। यदि आप साइलेंट लक्षणों को पहचान लेते हैं, और समय रहते उचित उपचार लेते हैं, तो इस पर नियंत्रण संभव है। किसी भी प्रकार के लक्षणों को हल्के में न लें। समय पर डॉक्टर से सलाह लें, अपनी डाइट और दिनचर्या पर ध्यान दें, इससे लो बीपी पर राहत पाई जा सकती है।

फिटनेस के चक्कर में मांसपेशियों का नुकसान? जानिए अत्यधिक वर्कआउट से होने वाले रबडोमायोलिसिस के खतरे

आज के समय में फिटनेस का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। हर कोई स्वस्थ और फिट रहना चाहता है, जिसके लिए घंटों जिम में पसीना बहाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा वर्कआउट आपके शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है?

जी हां, अत्यधिक व्यायाम से मांसपेशियों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है, जिससे रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) नामक स्थिति उत्पन्न होने की संभावना रहती है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें मांसपेशियां नष्ट होने लगती हैं, और उनके अंदर मौजूद तत्व रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं, जो शरीर के अन्य अंगों, खासकर किडनी के लिए घातक साबित हो सकता है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि रबडोमायोलिसिस क्या है, इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय क्या हैं।

रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) क्या होता है?

रबडोमायोलिसिस एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें मांसपेशियों की कोशिकाएं टूटने लगती हैं। मांसपेशियों में मौजूद मायोग्लोबिन नामक प्रोटीन, रक्त में घुलकर किडनी तक पहुंच जाता है। अगर यह प्रोटीन अत्यधिक मात्रा में रक्त प्रवाह में आ जाए, तो किडनी इसे फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे किडनी फेल्योर तक हो सकता है। यह स्थिति उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है जो अत्यधिक व्यायाम करते हैं, डिहाइड्रेटेड रहते हैं या फिर सेहत बनाने वाली दवाइयों का सेवन करते हैं।

रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) के कारण क्या हैं?

रबडोमायोलिसिस कई कारणों से हो सकता है, जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं।

अत्यधिक वर्कआउट और ओवर-ट्रेनिंग – शरीर की क्षमता से ज्यादा वर्कआउट करने से मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। अगर कोई व्यक्ति बिना पर्याप्त विश्राम किए लगातार एक्सरसाइज करता है, तो इसका खतरा बढ़ जाता है।

डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) – जब शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो मांसपेशियों को सही पोषण नहीं मिल पाता, जिससे वे जल्दी थक जाती हैं और टूटने लगती हैं। पसीने के जरिए इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन भी बिगड़ सकता है, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

दवाइयों और स्टेरॉयड्स का अधिक सेवन – कुछ स्टेरॉयड्स और हाई डोज़ पेनकिलर मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे रबडोमायोलिसिस हो सकता है।

चोट या शारीरिक आघात – किसी दुर्घटना, मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ने या लंबे समय तक स्थिर बैठे रहने से भी मांसपेशियों में रक्त संचार प्रभावित हो सकता है, जिससे यह समस्या हो सकती है।

हीट स्ट्रोक और अत्यधिक गर्मी में व्यायाम – बहुत अधिक गर्मी में व्यायाम करने से शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ सकता है, जिससे मांसपेशियां जल्दी थक जाती हैं और टूटने लगती हैं।

इंफेक्शन या मेडिकल कंडीशन्स – कुछ वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन भी मांसपेशियों को प्रभावित कर सकते हैं और उन्हें नष्ट करने का कारण बन सकते हैं।

रबडोमायोलिसिस के लक्षण क्या क्या होते है?

रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) के लक्षण धीरे-धीरे या अचानक विकसित हो सकते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।

मांसपेशियों में तेज दर्द और सूजन – आमतौर पर यह दर्द व्यायाम के बाद कई घंटों या दिनों तक बना रह सकता है।

पेशाब का रंग गहरा या लाल-भूरा होना – यह संकेत देता है कि मायोग्लोबिन रक्त में मिल चुका है और किडनी इससे प्रभावित हो रही है।

शरीर में अत्यधिक कमजोरी और थकान – व्यक्ति को सामान्य से अधिक थका हुआ महसूस होना।

मतली, उल्टी और चक्कर आना – यह लक्षण शरीर में टॉक्सिन्स के जमा होने के कारण होते हैं।

दिल की धड़कन का तेज़ होना और बुखार आना – जब शरीर तनाव में होता है, तो हार्ट रेट बढ़ सकता है और बुखार भी आ सकता है।

रबडोमायोलिसिस का उपचार

अगर रबडोमायोलिसिस के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। हम इन सावधानियों को अपनाकर रबडोमायोलिसिस के खतरे से बच सकते हैं।

पर्याप्त पानी पिएं – हाइड्रेशन सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रक्त से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। इसलिए पर्याप्त पानी पिएं।

आराम करें और ओवर-ट्रेनिंग से बचें – मांसपेशियों को रिकवरी के लिए समय दें और अत्यधिक वर्कआउट से बचें। पर्याप्त आराम करें।

इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखें – शरीर में सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम का संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

मेडिकल टेस्ट कराएं – ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट के जरिए डॉक्टर यह जांचते हैं कि मायोग्लोबिन और क्रिएटिन किनेस (CK) का स्तर कितना बढ़ा हुआ है।

रबडोमायोलिसिस कितना गंभीर हो सकता है?

अगर रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis)की समस्या का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह किडनी फेल्योर, दिल की समस्याएं, और सांस लेने में कठिनाई जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है। इसलिए लक्षण महसूस होने पर, इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

फिटनेस और स्वास्थ्य जरूरी हैं, लेकिन अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती। वर्कआउट हमेशा संतुलित और सेहत को ध्यान में रखकर विशेषज्ञ के निर्देशन में ही करें। शरीर की क्षमता को समझें और किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण नजर आने पर सावधानी बरतें। रबडोमायोलिसिस के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

Developed with by nDimensions